नमस्कार दोस्तों , UPPCS (Prelims) – 2003 में प्राचीन भारतीय इतिहास (History of Ancient India ) के “ मौर्य साम्राज्य “ से आये हुए प्रश्नों को व्याख्या सहित हल किया गया है | प्रश्नों का व्याख्या Civil services के मानक पुस्तकों से लिया गया है |
जो Students Civil services, Railway, UPSC, SSC,
Banking, State PSC, CDS, NDA, SSC CGL, SSC CHSL, Patwari, Samvida, Police, SI,
CTET, TET, Army, MAT, CLAT, NIFT, IBPS PO, IBPS Clerk, CET, Vyapam , Lekhpal ,
VDO etc. तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है उनके लिए “ UPPCS Pre 2003 – Maurya saamrajy ( Maurya Empire) “ के History Quiz रामबाण साबित होगी |
Written by :
Arvind Kushwaha
उत्तर
प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा -2003
मौर्य शासनकाल | Maurya Empire
( व्याख्यात्मक हल प्रश्न पत्र )
प्रश्न- निम्नलिखित में से अशोक के किस अभिलेख में पाँच
यवन शासकों का उल्लेख मिलता है :
( a ) तेरहवां शिलालेख
( b ) द्वितीय शिलालेख
( c ) सातवां स्तम्भ
लेख
( d ) प्रथम लघु
शिलालेख
उत्तर ( a ) तेरहवां शिलालेख
व्याख्या-
* सम्राट अशोक के तेरहवें शिलालेख में पाँच यवन राजाओं के नाम
मिलते हैं जिनके राज्यों में उसके धर्म प्रचारक भेजे गये थे
( 1 ) अन्तियोक - ( सीरियाई नरेश )
( 2 ) तुरमय - ( मिसी नरेश )
( 3 ) अन्तिकिनि - ( मेसीडोनियन का राजा )
( 4 ) मग - ( एपिरस )
( 5 ) अलिक सुन्दर - (
सीरीन )
प्रश्न- अशोक के किस शिलालेख में चोल , पाण्डय , केरलपुत्त और
सतीयपुत्त को पड़ोसी शक्तियों के रूप में उल्लिखित किया है -
(a ) शिलालेख II
( b ) शिलालेख XIII
( c ) स्तम्भ लेख VII
( d ) लघु शिलालेख
उत्तर ( a ) शिलालेख II
व्याख्या-
* अशोक अपने द्वितीय शिलालेख में सीमावर्ती
स्वतन्त्र राज्यों का उल्लेख करता है । ये थे - चोल , पाण्ड्य , सात्तियपुत्त , केरल पुत्त तथा
ताम्रपर्णि । ये पाँच स्वतन्त्र राज्य थे । इस प्रकार सुदूर दक्षिण के 4 प्रदेशों और
लंका को छोड़कर प्रायः सम्पूर्ण भारत अशोक के अधीन था ।
* अशोक अपने 13 वें शिलालेख में भी पाँच यवन राजाओं के साथ - साथ इन पाँच
दक्षिणी राज्यों का भी उल्लेख करता है ।
स्रोत - प्राचीन भारत
का राजनैतिक तथा सांस्कृतिक इतिहास , विमल चन्द्र पाण्डेय
प्रश्न- अशोक के सारनाथ सिंह शीर्ष स्तम्भ की फलक पर
प्रदर्शित पशुओं का सही क्रम क्या है :
( a ) हाथी , अश्य , वृष , सिंह
( b ) हाथी , वृष , सिंह , अश्व
( c ) सिह , वृष , अश्व , हाथी
( d ) अश्व , सिंह , हाथी , वृष
उत्तर ( a ) हाथी , अश्य , वृष , सिंह
प्रश्न- अशोक के शासन
काल में ' कुमार ' कहां नियुक्त थे
:
( a ) तक्षशिला , तोसली एव
उज्जयिनी
( b ) तक्षशिला , उज्जयिनी एवं
जूनागढ़
( c ) तक्षशिला , तोसली एवं सोपारा
( d ) उज्जयिनी मथुरा
एवं यूरागुड़ी
उत्तर ( a ) तक्षशिला , तोसली एव
उज्जयिनी
व्याख्या-
* प्रशासन की
सुविधा के लिए अशोक का विशाल साम्राज्य अनेक प्रान्तों में विभाजित था । उसके
अभिलेखों में पाँच प्रान्तों के नाम मिलते हैं-
( 1 ) उत्तरापथ - ( राजधानी
तक्षशिला )
( 2 ) अवत्तिरट्ठ - (राजधानी - उज्जयिनी )
( 3 ) कलिंग - (राजधानी - तोसलि )
( 4 ) दक्षिणापथ - ( राजधानी - सुवर्णगिरि )
( 5 )
प्राच्य अथवा
पूर्वी प्रदेश - (राजधानी - पाटलिपुत्र )
* राजनीतिक महत्व के प्रान्तों में राजकुल से
सम्बन्धित व्यक्तियों को ही राज्यपाल नियुक्त किया जाता था । उन्हें कुमार तथा
आर्यपुत्र कहा जाता था । तक्षशिला , सुवर्णगिरि , कलिंग ( तोसली ) एवं उज्जयिनी में इस प्रकार के कुमारों की
नियुक्ति की गयी थी ।
प्रश्न- मौर्य समाज के
सात वर्गों में विभाजित होने का उल्लेख निम्नलिखित में से किसमें मिलता है :
( a ) अशोक के शिलालेख
( b ) पुराण
( c ) मेगस्थनीज की ' इण्डिका '
( d ) प्रथम लघु शिलालेख
उत्तर ( c ) मेगस्थनीज की ' इण्डिका '
व्याख्या-
मेगस्थनीज ने
अपनी पुस्तक ' इंडिका में
भारतीय समाज को सात वर्गों में विभाजित किया है –
( 1 ) दार्शनिक ( 2 ) कृषक ( 3 ) योद्धा ( 4 ) पशुपालक ( 5 ) कारीगर ( 6 ) निरीक्षक और ( 7 ) मन्त्री
प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में उल्लिखित संस्था
शब्द का सम्बन्ध है :
( a ) वित्तीय प्रशासन
से
( b ) गुप्तचर व्यवस्था
से
( c ) न्याय प्रशासन से
( d ) कर व्यवस्था से
उत्तर ( b ) गुप्तचर व्यवस्था
से
व्याख्या-
* चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रशासन की सफलता बहुत
कुछ अंशों में कुशल गुप्तचर विभाग पर आधारित थी । यह विभाग एक पृथक अमात्य के अधीन
रखा गया जिसे ' महामात्यासर्प ' कहा जाता था ।
* गुप्तचरों को अर्थशास्त्र में ' गूढ़ पुरुष ' कहा गया है ।
* अर्थशास्त्र में दो प्रकार के गुप्तचरों का
उल्लेख मिलता है- संस्था अर्थात् एक ही स्थान पर रहने वाले तथा संचरा
अर्थात् प्रत्येक स्थानों में भ्रमण करने वाले |
* पुरुषों के अतिरिक्त चतुर स्त्रियाँ भी
गुप्तचरी करती थीं । अर्थशास्त्र से पता चलता है कि वेश्यायें भी गुप्तचरों के पदों पर नियुक्त की जाती थी ।
यदि कोई गुप्तचर गलत सूचना देता था तो उसे दण्डित किया जाता था तथा पद से मुक्त कर
दिया जाता था ।
स्रोत- प्राचीन भारत
का इतिहास तथा संस्कृति ,
के० सी०
श्रीवास्तव
प्रश्न- ' अदेवमातृक ' भूमि क्या थी :
( a ) वह भूमि जिसमें
बिना वर्षा के अच्छी खेती हो सके
( b ) वह भूमि जिसमें
बिना वर्षा के अच्छी खेती न हो सके
( c ) बंजर भूमि
( d ) कृषि कार्य के
लिये अनुपयुक्त भूमि
उत्तर ( a ) वह भूमि जिसमें
बिना वर्षा के अच्छी खेती हो सके
व्याख्या-
* मौर्य काल में
राज्य की अर्थव्यस्था कृषि ,पशुपालन और वाणिज्य व्यापार पर आधारित थी । इनको
सम्मिलित रूप से ' वार्ता ' कहा गया है
अर्थात वृत्ति का साधन । इन व्यवसायों में कृषि मुख्य था ।
* कौटिल्य ने कहा है कि भूमि कृषि योग्य होनी
चाहिए । वह अदेव मातृक हो अर्थात ऐसी भूमि हो कि उसमें बिना वर्षा के भी अच्छी
खेती हो सके ।
स्रोत- प्राचीन भारत
का इतिहास , झा एवं श्रीमाली
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