“अशोक के दीर्घ शिलालेख “ को
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मात्र 1
मिनट में “Ashoka Inscription “ याद
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तथा
अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे
है उनके लिए “ashok
ke shilalekh “ के Gk
Tricks रामबाण साबित होगी |
Written by : Arvind Kushwaha
अशोक के दीर्घ शिलालेखों की संख्या 14 है जो 8 भिन्न - भिन्न स्थानों से प्राप्त हुए
हैं । चौदह लेखों का उल्लेख मिलने के कारण इन्हें चतुर्दश शिलालेख भी कहा जाता है
। इन शिलालेखों में प्रशासनिक एवं धम्म से सम्बन्धित अनेक बातों का उल्लेख है । ये
निम्न स्थानों से प्राप्त हुए हैं |
याद करने का ट्रिक
1. शहबाजगढ़ी
- ( पाकिस्तान के पेशावर जिले में स्थित )
Trick : साहब पेशवा
व्याख्या : साहब से हो गया शहबाजगढ़ी , पेशवा से पेशावर
2. मानसेहरा
- ( पाकिस्तान के हजारा जिले में स्थित )
Trick : मानो हजूर
व्याख्या : मानो से हो गया मानसेहरा
, हजूर से हजारा
3. कालसी
- ( उत्तराखण्ड के देहरादून जिले में
स्थित )
Trick : काला देह
व्याख्या : काला से हो गया कालसी , देह से देहरादून
4. गिरनार
- ( काठियावाड़ में जूनागढ़ के समीप स्थित गिरनार की पहाड़ी )
Trick : नारी जान है
व्याख्या : नारी से हो गया गिरनार , जान से जूनागढ़
5. धौली
- ( उड़ीसा के पुरी जिले में स्थित एक ग्राम )
Trick : धूल उड़ा
व्याख्या : धूल से हो गया धौली , उड़ा
से उड़ीसा
6. जौगढ़
- ( उड़ीसा के गंजाम जिले में स्थित )
Trick : जागो , उठो गंजे
व्याख्या : जागो से हो गया जौगढ़ ,
उठो से उड़ीसा , गंजे से गंजाम
7. एरंगुड़ी
- ( आन्ध्र प्रदेश के कर्नूल जिले में स्थित )
Trick : अरे अंधे काने
व्याख्या : अरे से हो गया एरंगुड़ी ,
अंधे से आंध्र प्रदेश , काने से कर्नूल
8. सोपारा
- ( महाराष्ट्र प्रान्त के थाणा जिले में स्थित ) अशोक के शिलालेखों को दीर्घ एवं
लघु शिलालेखों दो वर्गों में बाँटा गया है ।
Trick : पारा थाणा
व्याख्या : पारा से हो गया सोपारा
दीर्घ शिलालेख के स्थान को याद करें ट्रिक
से
Trick : “ साहब
माने काला नार
धोले जोगी एड़ी पार “
व्याख्या :
साहब से हो गया शहबाजगढ़ी , माने से मानसेहरा , काला से हो गया कालसी , नार
से गिरनार , धोले से धौली , जोगी से जौगढ़ , एड़ी से एरंगुड़ी , पार से सोपारा
उपरोक्त शिलालेख दीर्घ शिलालेख है ।
* लघु शिलालेख 14 शिलालेखों
के मुख्य वर्ग में सम्मिलित नहीं हैं । इस कारण इन्हें लघु शिलालेख कहा गया है |
* लघु शिलालेख में अशोक के व्यक्तिगत जीवन की जानकारी मिलती है |
स्रोत : मौर्यकाल का इतिहास -
रोमिला थापर
ट्रिक : By , Arvind
Kushwaha
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