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Biology GK Notes - पाचन कार्य में भाग लेने वाले प्रमुख अंग एवं एन्जाइम |organs involved in digestion

पाचन कार्य में भाग लेने वाले प्रमुख अंग एवं एन्जाइम विभिन्न परीक्षा में पूछे जाने वाला बहुत महत्वपूर्ण Topic है | Major organs and enzymes involved in digestion “ के नोट्स Step by step दिए गए हैं ताकि इसे समझने में कोई problem न हो |

जो Students Civil services, Railway, Bank, SSC, UPSSSC, Police, Army, UPTET, CTET, Group C, Group D   तथा अन्य प्रतियोगी  परीक्षा की तैयारी कर रहे है उनके  लिए   paachan kaary mein bhaag lene vaale pramukh ang evan enjaim के Gk Notes  रामबाण साबित होगी  |

Written by : Arvind Kushwaha

 

पाचन कार्य में भाग लेने वाले प्रमुख अंग एवं एन्जाइम

यकृत ( liver ) :

* यह मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है ।

* इसका वजन लगभग 1.5 – 2 kg  होता है ।

* यकृत द्वारा ही पित्त स्रावित होता है । यह पित्त आँत में उपस्थित एन्जाइम की क्रिया को तीव्र कर देता है |

* यकृत प्रोटीन के उपापचय में सक्रिय रूप से भाग लेता है और प्रोटीन विघटन के फलस्वरूप उत्पन्न विषैले अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित कर देता है ।

* यकृत प्रोटीन की अधिकतम मात्रा को कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित कर देता है ।

* कार्बोहाइड्रेट उपापचय के अन्तर्गत यकृत रक्त के ग्लूकोज ( Glucose ) वाले भाग को ग्लाइकोजेन ( Glycogen ) में परिवर्तित कर देता है और संचित पोषक तत्वों के रूप में यकृत कोशिका ( Hepatic Cell ) में संचित कर लेता है ।

* ग्लूकोज की आवश्यकता होने पर यकृत संचित ग्लाइकोजेन को खंडित कर ग्लूकोज में परिवर्तित कर देता है । इस प्रकार यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियमित बनाये रखता है ।

* भोजन में वसा की कमी होने पर यकृत कार्बोहाइड्रेट के कुछ भाग को वसा में परिवर्तित कर देता है ।

* फाइब्रिनोजेन ( Fibrinogen ) नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत से ही होता है , जो रक्त के थक्का बनने में मदद करता है ।

* हिपैरिन ( Heparin ) नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत के द्वारा ही होता है , जो शरीर के अन्दर रक्त को जमने से रोकता है ।

* मृत RBC को नष्ट यकृत के द्वारा ही किया जाता है ।

* यकृत थोड़ी मात्रा में लोहा ( Iron ) , ताँबा ( Copper ) और विटामिन को संचित करके रखता है ।

* शरीर के ताप को बनाए रखने में मदद करता है ।

* भोजन में जहर ( Poison ) देकर मारे गये व्यक्ति की मृत्यु के कारणों की जाँच में यकृत एक महत्वपूर्ण सुराग होता है ।

 

पित्ताशय ( Gall - bladder ) :

* पित्ताशय नाशपाती के आकार की एक थैली होती है , जिसमें यकृत से निकलने वाला पित्त जमा रहता है ।

* पित्त ( Bile ) पीले - हरे रंग का क्षारीय द्रव है , जिसका PH मान 7.7 होता है

* पित्त में जल की मात्रा 85 %  एवं पित्त वर्णक ( Bile pigment ) की मात्रा 12 % होती है ।

* पित्ताशय से पित्त पक्वाशय में पित्त - नलिका के माध्यम से आता है ।

* पित्त का पक्वाशय में गिरना प्रतिवर्ती क्रिया ( Reflex action ) द्वारा होता है ।

पित्त ( Bile ) का मुख्य कार्य निम्न है :

1. यह भोजन के माध्यम को क्षारीय कर देता है , जिससे अग्न्याशयी रस क्रिया कर सके ।

2. यह भोजन में आए हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है |

3.यह वसाओं का इमल्सीकरण ( Ernulsificationoffat ) करता है ।

4. यह आँत की क्रमाकुंचन गतियों को बढ़ाता है , जिससे भोजन में पाचक रस भली - भाँति मिल जाते हैं ।

5. यह विटामिन K एवं वसाओं में घुले अन्य विटामिनों के अवशोषण में सहायक होता है ।

* पित्तवाहिनी में अवरोध हो जाने पर यकृत कोशिकाएँ रुधिर से विलिरुबिन लेना बन्द कर देती है । फलस्वरूप विलिरुबिन सम्पूर्ण शरीर में फैल जाता है । इसे ही पीलिया कहते हैं ।

 

अग्न्याशय ( Pancreas ) :

* यह मानव शरीर की दूसरी सबसे बड़ी ग्रंथि है ।

* यह एक साथ अन्तःस्रावी ( नलिकाहीन- Endocrine ) और बहिःस्रावी ( नलिकायुक्त Exocrine ) दोनों प्रकार की ग्रंथि है । 

*  इससे अग्न्याशयी रस निकलता है जिसमें 9.8 % जल तथा शेष भाग में लवण एवं एन्जाइम होते हैं ।

* यह क्षारीय द्रव होता है जिसका pH मान 7.5  -  8.3 होता है ।

* इसमें तीनों प्रकार के मुख्य भोज्य पदार्थ ( यथा कार्बोहाइड्रेट , वसा एवं प्रोटीन ) को पचाने के लिए एन्जाइम होते हैं , इसलिए इसे पूर्ण पाचक रस कहा जाता है ।

* एन्जाइम मूलतः प्रोटीन होते हैं ।

 

लैंगरहेंस की दीपिका ( Islets of Langerhans ) :

* यह अग्न्याशय का ही एक भाग है ।

* इसकी खोज लैंगरहँस नामक चिकित्साशास्त्री ने की थी ।

* इसके p - कोशिका  से इन्सुलिन ,  a- कोशिका  से ग्लूकॉन एवं y - कोशिका से सोमेटोस्टेटिन नामक हार्मोन निकलता है ।

इन्सुलिन ( Insulin ) :

* यह अग्न्याशय के एक भाग लैंगरहँस की दीपिका के p - कोशिका द्वारा स्रावित होता है ।  

* इसकी खोज वैटिंग एवं वेस्ट ने सन् 1921 ई . में की थी ।

* यह ग्लूकोज से ग्लाइकोजेन बनने की क्रिया को नियंत्रित करता है ।

* इन्सुलिन के अल्प स्रवण से ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है जिससे मधुमेह ( डाइबीटिज ) नामक रोग हो जाता है ।

* इन्सुलिन के अतिम्रवण से हाइपोग्लाइसीमिया ( Hypoglycemia ) नामक रोग हो जाता है , जिसमें जनन - क्षमता तथा दृष्टि - ज्ञान कम होने लगता है ।

ग्लूकॉन ( Glucagon ) :

* यह ग्लाइकोजेन को पुनः ग्लूकोज में परिवर्तित कर देता है ।

* सोमेटोस्टेटिन ( Somatostatin ) पॉलीपेप्टाइड ( Polypeptide ) हार्मोन होता है , जो भोजन के स्वांगीकरण की अवधि को बढ़ाता है ।


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