भारतेन्दु हरिशचंद्र की रचनाओं को याद करने करने का जबरदस्त TRICK सिर्फ
मेरे ब्लॉग पर - दोहे और वाक्यों
द्वारा इनके द्वारा रचित नाटक , काव्यसंग्रह मात्र 1 मिनट में याद
करें हमेशा के लिए -
Written by : Arvind Kushwaha
नमस्कार दोस्तों , AKWEBCLASS में आपका स्वागत है | प्रतियोगी
परीक्षा में हिंदी साहित्य Section में " लेखक की रचनाओं " से कई प्रश्न पूछे
जाते हैं | इस Article में हम Bhartendu Harshchandr की रचनाओं को एकदम आसान Magical Trick द्वारा चुटकियों में याद करेंगे |
जो Students
Civil services, Railway, Bank, SSC, UPSSSC, Police, Army, UPTET, CTET, Group C,
Group D तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षा
की तैयारी कर रहे है उनके लिए यह Trick रामबाण साबित
होगा |
भारतेंदु
हरिश्चंद्र की प्रमुख रचनाएँ
भारतेंदु
रचित कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं :
- नाटक -
वैदिक
हिंसा हिंसा न भवति (1873)
भारत
दुर्दशा (1875)
सत्य
हरिश्चंद्र (1876)
श्री
चंद्रावली (1876)
नीलदेवी
(1881)
अँधेर
नगरी (1881)
" वैदिक भारत में , सत्य
हरि
नीले
चाँद की , थी
नगरी "
Explanation:
वैदिक - वैदिक हिंसा हिंसा न भवति
भारत - भारत दुर्दशा
सत्य हरि - सत्य हरिश्चंद्र
नीले - नीलदेवी
चाँद - श्री चंद्रावली
नगरी - अँधेर नगरी
- काव्य-कृतियाँ :
'प्रेम ' शब्द से शुरू होने वाले काव्य
प्रेम-मालिका (1871)
प्रेम-माधुरी (1875)
प्रेम-तरंग (1877)
प्रेम-प्रलाप (1877)
प्रेम-फुलवारी (1883)
Trick:
मधु माली का फूल तोड़ के प्रलाप करती है
Explanation :
मधु - प्रेम-माधुरी
माली - प्रेम-मालिका
फूल - प्रेम-फुलवारी
तोड़ - प्रेम-तरंग
प्रलाप - प्रेम-प्रलाप
- अन्य काव्य संग्रह -
सतसई श्रृंगार
भक्त-सर्वस्व
(1870)
उत्तरार्द्ध-भक्तमाल
(1876-77)
गीत-गोविंदानंद
(1877-78)
होली
(1879)
मधु-मुकुल
(1881)
राग-संग्रह
(1880)
वर्षा-विनोद
(1880)
विनय
प्रेम पचासा (1881)
फूलों
का गुच्छा (1882)
कृष्णचरित्र
(1883)
"भक्त सत्या ने , विनय से गीत राग गाया
होली में माधव कृष्ण पर फूल वर्षा कराया "
Explanation :
भक्त - भक्त-सर्वस्व , उत्तरार्द्ध-भक्तमाल
सत्या - सतसई श्रृंगार
विनय - विनय प्रेम पचासा
गीत - गीत-गोविंदानंद
राग - राग-संग्रह
होली - होली
माधव - मधु-मुकुल
कृष्ण - कृष्णचरित्र
फूल - फूलों का गुच्छा
वर्षा - वर्षा-विनोद
नोट
:
- इसके अतिरिक्त भारतेंदु हरिश्चंद्र ने बांग्ला भाषा से ‘विद्यासुंदर’ नामक नाटक का हिंदी में अनुवाद किया था।
- संस्कृत से 'मुद्राराक्षस' और प्राकृत से 'कर्पूरमंजरी' नामक नाटकों का भी उन्होंने हिंदी में अनुवाद किया।
वैधानिक चेतावनी :
मेरे द्वारा बनाया गया ट्रिक " Bhartendu Harshchandra ki rachnaye " सिर्फ
Students के लिए है |
कोई भी सज्जन इसे अपने पुस्तक,
ब्लॉग या वेबसाईट और Youtube पर Republish
करने का प्रयत्न न करे अन्यथा कानूनी
हर्जे खर्चे का स्वयं जिम्मेदार होगा
Good sirji
जवाब देंहटाएंThankyou arvind sir
जवाब देंहटाएंअद्वितीय
जवाब देंहटाएंHi
जवाब देंहटाएंNil Devi
जवाब देंहटाएंKya trick hai sir
जवाब देंहटाएं