उजबेगों और
सफवियों के पूर्ववर्ती इतिहास
उजबेग -
मध्य
एशिया में निवास करने वाली उजबेग जाति तुर्की भाषा बोलती थी । तूरान या
ट्रांसऑक्सियाना के उजबेग चंगेज के बड़े पुत्र जूजी के वंशज थे । उन्होंने अपना
नाम भारत जजी के अधीनस्थ दश्त - ए - किपचक के उजबेग खाँ ( 1212 - 40 ) के आधार पर रखा था । उजबेग चगताई तुर्की बोलते थे और
तुर्क - मंगोल परंपरा का निर्वाह करते थे । उजबेग कट्टर सुन्नी थे और हनफी कानून
मानते थे । नैमान , कुशजी , दुर्मान , कुनघरात और अन्य तुर्क -
मंगोल जनजातियाँ उजबेग राज्य को अपना समर्थन देती थीं । बार - बार आक्रमण करके
इनके विरोधी कबीलों ( मंगोल . कजाक . और किरधिज ) ने इनकी शक्ति काफी कम कर दी ।
भारत में मुगल वंश का संस्थापक बाबर भी नस्ल से उजबेग जाति का ही था ।
सफवी -
1502 - 1730 तक ईरान पर राज करने वाला ईरानी राजवंश एक सफवी वंश था । सफवी मूलत : ईरानी ( कुर्दिस्तान से ) थे । वे शिया और फारसी इस्लामी परंपरा का
निर्वाह करते थे । वे शासन करने के लिए लाए गए थे । वे अजरी तुर्की और फारसी
बोलते थे । सूफी मूल के होने के कारण उन्होंने बाद में एक प्रभावी वंशावली तैयार
की । सफवी शक्ति का मूल आधार तुर्कमान जनजातियों का संगठन था पर प्रशासनिक
नौकरशाही में ईरानी तत्त्व भी बराबरी के स्तर पर मजबूत था । बाद में जॉर्जियन और
सिरकासियन नामक दो समूह और जुड़े । ये चारों तत्त्व ( खासकर तुर्कमान समूह ) बाह्य
राजनीतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने के मुख्य स्रोत थे , क्योंकि वे सदैव एक - दूसरे के विरुद्ध षड्यंत्र रचते रहते थे ।
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