तूरान और ईरान की भौगोलिक
सीमा
तूरान की भौगोलिक सीमा -
मध्यकाल में तूरान अथवा
अंदरूनी एशिया क्षेत्र एशिया के उस भाग को कहा जाता था जो यूनान की सीमा से लगा
हुआ था । तुरान का संबंध तुर्क जाति से है । यह शहर दो नदियों ( सीर एवं अमू ) के
बीच बसा हुआ था जिसे अरब आक्रमणकारी मवारून्नहर कहते थे । यह क्षेत्र उत्तर में
तुर्किस्तान ,
सीर
नदी तथा अरल सागर से घिरा था , दक्षिण में ईरान , अमू नदी और अफगानिस्तान था ; पूर्व में तीनशान और
हिंदुकुश पर्वतों से लेकर कराकोरम रेगिस्तान था और पश्चिम में कैस्पियन सागर तथा
साथ में खाई ,
पहाड़
, घाटी , रेगिस्तान व शुष्क और
अर्द्धशुष्क भूमि थी ।
इस प्रकार इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की जीवन शैलियाँ
देखने को मिलती थीं । यहाँ बंजारे और पशुपालक भी थे तथा स्थायी रूप से बसे हुए लोग
भी | कृषि के अलावा यहाँ पशुपालन एक
लोकप्रिय व्यवसाय था । घोड़ों के लिए प्रसिद्ध तूरान शहर बहुत बड़ी संख्या में
भारत को घोड़ों का निर्यात करता था ।
ईरान की भौगोलिक सीमा -
नाटकीय इतिहास रखने
वाले ईरान का प्राचीन नाम फारस था । ईरान में एशिया माइनर और कॉकेसस की पहाड़ी
श्रृंखलाओं से लेकर पंजाब की समतल धरती भी शामिल थी , जिसे ईरानी पठार के नाम से
जाना जाता था । ईरान के चार प्रमुख हिस्से थे । जिसमें खुजिस्तान और लघु बाहरी
समतल भूमि को मिलाकर बनी जागरोस व्यवस्था , ईरान की उत्तरी उच्च भूमि ( जैसे , अलबुर्ज और तालिश व्यवस्था
) और कैस्पियन समतल भूमि , पूर्वी और दक्षिण पूर्वी उच्च भूमि रिम तथा अंदर का इलाका आदि शामिल
थे । ईरान के निचले क्षेत्रों में कृषि - व्यवस्था मौजूद थी ; ऊपरी भाग में लोग पशुपालन
करते थे तथा पश्चिमी भाग में कुर्दिश गड़रिये बंजारों की भाँति अपना जीवन बिताते
थे ।
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