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तूरान और ईरान की भौगोलिक सीमा | Ignou EHI 004 Notes - Chapter 1




तूरान और ईरान की भौगोलिक सीमा
तूरान की भौगोलिक सीमा - 
मध्यकाल में तूरान अथवा अंदरूनी एशिया क्षेत्र एशिया के उस भाग को कहा जाता था जो यूनान की सीमा से लगा हुआ था । तुरान का संबंध तुर्क जाति से है । यह शहर दो नदियों ( सीर एवं अमू ) के बीच बसा हुआ था जिसे अरब आक्रमणकारी मवारून्नहर कहते थे । यह क्षेत्र उत्तर में तुर्किस्तान , सीर नदी तथा अरल सागर से घिरा था , दक्षिण में ईरान , अमू नदी और अफगानिस्तान था ; पूर्व में तीनशान और हिंदुकुश पर्वतों से लेकर कराकोरम रेगिस्तान था और पश्चिम में कैस्पियन सागर तथा साथ में खाई , पहाड़ , घाटी , रेगिस्तान व शुष्क और अर्द्धशुष्क भूमि थी । 
इस प्रकार इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की जीवन शैलियाँ देखने को मिलती थीं । यहाँ बंजारे और पशुपालक भी थे तथा स्थायी रूप से बसे हुए लोग भी | कृषि  के अलावा यहाँ पशुपालन एक लोकप्रिय व्यवसाय था । घोड़ों के लिए प्रसिद्ध तूरान शहर बहुत बड़ी संख्या में भारत को घोड़ों का निर्यात करता था । 
ईरान की भौगोलिक सीमा
नाटकीय इतिहास रखने वाले ईरान का प्राचीन नाम फारस था । ईरान में एशिया माइनर और कॉकेसस की पहाड़ी श्रृंखलाओं से लेकर पंजाब की समतल धरती भी शामिल थी , जिसे ईरानी पठार के नाम से जाना जाता था । ईरान के चार प्रमुख हिस्से थे । जिसमें खुजिस्तान और लघु बाहरी समतल भूमि को मिलाकर बनी जागरोस व्यवस्था , ईरान की उत्तरी उच्च भूमि ( जैसे , अलबुर्ज और तालिश व्यवस्था ) और कैस्पियन समतल भूमि , पूर्वी और दक्षिण पूर्वी उच्च भूमि रिम तथा अंदर का इलाका आदि शामिल थे । ईरान के निचले क्षेत्रों में कृषि - व्यवस्था मौजूद थी ; ऊपरी भाग में लोग पशुपालन करते थे तथा पश्चिमी भाग में कुर्दिश गड़रिये बंजारों की भाँति अपना जीवन बिताते थे ।


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