मुगल शासकों के संदर्भ में मध्य एशिया के इतिहास के अध्ययन के
महत्त्व
मध्य एशिया के इतिहास का अध्ययन मुगल शासकों के
संदर्भ में कई कारणों से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । इस दौरान भारत , मध्य और पश्चिमी - एशिया के देशों के
बीच परंपरागत व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध विद्यमान थे । भारत में मुगल
साम्राज्य का संस्थापक बाबर भी इसी क्षेत्र से आया था इसलिए मुगलकालीन भारत का
अध्ययन करने के लिए इन क्षेत्रों में हुई गतिविधियों को जानना जरूरी हो जाता है ।
इस प्रकार के अध्ययन से हमें भारत में मुगल शासनस के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य , सामाजिक - आर्थिक पृष्ठभूमि और प्रकृति
को समझने में मदद मिलती है ।
16वीं
शताब्दी के दौरान इन राज्यों के बीच राजनैतिक , व्यापारिक तथा सांस्कृतिक संबंधों ने विस्तृत रूप ले लिया था । एशिया
और फारस के उत्थान और पतन के साथ - साथ मुगलों का उत्थान और पतन जुड़ा हुआ है । इन
क्षेत्रों में कई सालों से लोगों के आने - जाने , वस्तु - विनिमय तथा विचारों के आदान - प्रदान के कारण सांस्कृतिक
विरासत में समानता आई है । मध्य एशिया के अधिकतर राज्य 16वीं शताब्दी से पूर्व एक केंद्रीकृत
शक्ति के अधीन रहे जिस कारण से इनकी प्रशासनिक तथा संगठनात्मक व्यवस्था में
एकरूपता की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है ।
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