प्रश्न : सन्थाल कौन थे । संथाल विद्रोह पर चर्चा कीजिए|
उत्तर - संथाल हजारीबाग , मिदनापुर , बाकुड़ा और
बीरभूम क्षेत्रों में कृषि के कार्य में लगे हुए थे । 1793 की स्थाई भूमि -
व्यवस्था के कारण जमींदार इन इलाकों के स्वामी बन गये । जमींदारों की बहुत अधिक
लगान की मांग से मजबूर होकर ये लोग अपनी पैतृक भूमि को छोड़कर राजमहल की पहाड़ियों
में बस गये । अपने कठोर परिश्रम के द्वारा उन लोगों ने पथरीली और जंगलों से ढकी
भूमि को कृषि के योग्य बना लिया ।
सन्थाल विद्रोह (
1855 - 56 ) - जमींदारों ने इस
भूमि के भी स्वामित्व की मांग की और जबरदस्ती उनसे रुपए बटोरने शुरू कर दिए ।
साहूकारों ने भी अपनी सूदखोरी द्वारा उन लोगों को और भी निर्धन बना दिया । पुलिस , न्यायालयों और
अफसरों ने भी जमींदारों और साहूकारों की सहायता की । साहूकारों को किसानों से अपना
कर्जा चुकाने के लिए जेल में डलवाने का अधिकार दिया गया । संथालों . को बड़ी
निराशा हुई जब पुलिस ने भी जमींदारों और साहूकारों का साथ दिया । संथाल लोग इन
अत्याचारों को सह न सके और सिद्धू और कान्नू बंधुओं के नेतृत्व में
उन्होंने विद्रोह कर दिया । उन्होंने घोषणा की कि वे देश को अपने अधिकार में ले
लेंगे तथा अपनी सरकार स्थापित कर देंगे । उन्होंने भागलपुर और राजमहल के बीच तार
तथा रेल व्यवस्था भंग कर दी । उन्होंने कम्पनी के राज्य की
समाप्ति और अपने सूबेदार के राज्य की घोषणा कर दी । स्थिति से निपटने के लिए सेना
भेजी गयी । सेना का प्रतिरोध न कर सकने के कारण विद्रोहियों ने जंगलों में शरण ली
और कार्यवाही जारी रखी । मेजर बरों के अधीन एक अंग्रेजी सेना को अपमानजनक हार खानी
पड़ी । फरवरी 1856 में संथालों के
नेता बन्दी बना लिए गए और विद्रोह बड़ी कठोरता से दबा दिया गया ।