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Reason of the failure of 1857 revolution




प्रश्न  . 1857 की असफलता के कारणों का उल्लेख कीजिये  ।

उत्तर - 1857 का विद्रोह यद्यपि समूचे भारत में फैला , परंतु संपूर्ण भारत की जनसंख्या  और क्षेत्र को यह विद्रोह आंदोलित न कर सका । 400 से भी अधिक रियासतों में से कुछ गिने - चुने राजाओं ने इस विद्रोह में भाग लिया । इसके विपरीत लॉर्ड कैनिंग ने कहा कि अंग्रेजी शासक तूफान को रोकने में बाध की तरह सावित हुए । 

1. भारतीय शासकों की कायरता  :
पजाब का अधिकतर भू - भाग , राजपूताना , कश्मीर शांत रहे । हैदराबाद के निज़ाम , कश्मीर का राजा गुलाब सिंह , पटियाला , नाभा और जींद के सिक्ख शासक , इंदौर के होल्कर , ग्वालियर के सिंधिया , भोपाल का नवाब , टीकागढ़ और टेहरी के राजाओं ने अपने पद तथा राज्य को बनाए रखने के लिए इस विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों की मदद की । ग्वालियर के मंत्री सर दिनकर राव और हैदराबाद के मंत्री सालार जंग की राजभक्ति की बड़ी प्रशंसा की गई ।
2. भारतीयों में उत्साह एवं एकता की कमी :
लंदन टाइम्स ' के विशेष प्रतिनिधि सर विलियम डब्ल्यू एच . रसेल ने , जो विद्रोह के समय भारत में थे , लिखा - ' यदि समस्त भारतवासी उत्साह और हिम्मत से अंग्रेजों के विरुदध मिल जाते तो वे शीघ्र पूरी तरह से नष्ट हो जाते । यदि पटियाला और जींद के राजा हमारे मित्र न होते और यदि सिख हमारी सेनाओं में भर्ती न होते और पंजाब में शांति न बनी रहती तो दिल्ली पर हमारा अधिकार करना असंभव होता ।
बड़े जमीदारों , साहूकारों और व्यापारियों ने भी सामान्यतः तत्कालीन कंपनी के शासन को समर्थन दिया । अंग्रेज़ी पढ़ा - लिखा शिक्षित वर्ग भी इस संघर्ष में तटस्थ रहा । अतः संपूर्ण देश के लोगो का मिल - जुलकर प्रयास न करना इसकी असफलता का कारण रहा ।
3. सीमित उद्देश्य :
विद्रोह यदयपि विस्तृत था , परंतु उसके उद्देश्य सीमित थे । यह विद्रोह अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने के लिए किया गया . परंतु अंग्रेजों के जाने के बाद भारतीय शासन का क्या स्वरूप होगा , इसकी पूरी तस्वीर क्रांतिकारियों के सम्मुख न थी ।
विनायक दामोदर सावरकर ने लिखा है , ' यदि लोगों के सम्मुख सुस्पष्ट रूप से एक नया आदर्श रखा गया होता , जो इतना मोहक होता कि उनके हृदय को आकृष्ट कर सकता तो क्रांति का विकास और अंत भी उतना ही महान और सफलतापूर्ण होता जितना कि उसका प्रारंभ |

4. देशव्यापी नेतृत्व की कमी:
विद्रोह की असफलता के कई प्रमुख कारणों में से एक था श्रेष्ठ और देशव्यापी नेतृत्व की कमी । मुगल सम्राट बहादुर शाह एक वृद्ध , निराशापूर्ण और दुर्बल व्यक्ति था । वास्तव में उसे ज़बरदस्ती भारत का सम्राट घोषित किया गया था । रानी ज़ीनत महल और उसके बेटों ने दुश्मन के साथ मिलकर उसे कमजोर कर दिया था । नाना साहेब , तात्या टोपे , झांसी की रानी लक्ष्मीबाई , कुंवरसिंह , बख्त खान और अज़ीमुल्ला खां - क्रांति के नेता यद्यपि अपने इरादों के पक्के थे , परंतु उनका नेतृत्व न तो अखिल भारतीय स्तर का ही था और न ही उनमें परस्पर तालमेल था । इसके विपरीत वे एक - दूसरे को संदेह और अविश्वास की दृष्टि से देखते थे ।
5. योजना का सुनियोजित न होना :
स्वामी विवेकानंद ने 1857 के इस विद्रोह की असफलता का कारण नेताओं की उदासीनता माना है । सैनिक दृष्टि से भारतीय सैनिकों ने देशभक्ति , धार्मिक जोश और निःस्वार्थ भावना से विद्रोह किया था , परंतु उनमें अनुशासन का सर्वथा अभाव , सैनिक संगठन की कमी , आधुनिक शस्त्रों की कमी और योग्य सेनापतियों का अभाव था । भारतीय सेनाएं  तीर कमान , गंडासे और तलवारों से लड़ रही थीं , जबकि अंग्रेज़ सेना नवीनतम बंदूकों और राइफलों से लैस थी । अंग्रेज़ों के पास प्रभावकारी तोपखाना था । ब्रिटिश शासकों के पास भारतीय विद्रोह को दबाने के लिए सभी सामरिक सुविधाएं प्राप्त थीं । 
1857 के विद्रोह की एक बड़ी कमज़ोरी इसका निश्चित समय से पूर्व प्रारंभ हो जाना था । भारतीय सैनिकों में जोश तो था , परंतु होश की कमी थी । जी . बी . मालेसन ने अपनी पुस्तक  " इंडियन म्यूटनी ' में लिखा – ' यदि पूर्व निश्चय के अनुसार , एक तारीख को सारे भारत में स्वाधीनता का युद्ध शुरू होता तो भारत में एक भी अंग्रेज़ जीवित न बचता । 
6.अंग्रेजों की अनुकूल परिस्थिति :
' अंग्रेज़ों के सौभाग्य से विश्व की परिस्थितियां भी शीघ्र ही उनके अनुकूल हो गई थीं । क्रीमिया के युद्ध में रूस को पराजित किया जा चुका था । चीन भी प्रसिद्ध अफीम युद्ध में हार गया था । समुद्री मार्ग पर भी अंग्रेज़ों का प्रभाव था । 1 , 12 , 000 सैनिक यूरोप के भिन्न - भिन्न स्थानों से भारत भेजे गए । 3 , 10 , 000 सैनिकों की अतिरिक्त भारतीय सेना का यहां पर ही गठन किया गया । क्रांतिकारियों को इस प्रकार की सहायता की कोई संभावना न थी ।
7.यातायात का प्रभाव:
लॉर्ड डलहौज़ी की रेल , तार और डाक की व्यवस्था क्रांति को दबाने में बहुत उपयोगी रही । अंग्रेजों के लिए यातायात की बड़ी सुविधा हो गई थी । विद्रोह के समाचार नर्मदा के पार न पहुंचने  पाएं , इसकी व्यवस्था की गई थी । जी . टी . रोड पर कड़ा नियंत्रण रखा गया था । सितंबर के मध्य में अचानक दिल्ली पर अंग्रेजों का प्रभुत्व होना भी क्रांतिकारियों में एक निराशा का ' वातावरण बनाने वाला साबित हुआ । एक - एक करके सभी क्रांतिकारी पकड़ लिए गए , अनेक क्रांतिकारी फांसी पर लटका दिए गए या फिर वे किसी गुप्त स्थान को चले गए । इससे अंग्रेज़ो को मनमानी करने का अवसर मिला ।
8. कैनिंग की उदार नीति :
असफलता का एक और कारण लॉर्ड कैनिंग के साहस और उदार नीति को भी कहा जा सकता है । उसने बड़े धैर्य से क्रांतिकारियों पर नियंत्रण करने का प्रयल किया । अतः कुछ विद्वानों ने इतने अत्याचारों के बाद भी उसे दयालु कैनिंग ' कहा है ।
वास्तव में विद्रोह की विफलता का कारण भारतीयों की वीरता अथवा साहस की भावना का अभाव न होकर राष्ट्रीय एकता की भावना की कमी , नेतृत्व की कमी और परस्पर फूट थी ।