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Effects of 1857 revolution




 प्रश्न  . 1857 की क्रान्ति के क्या प्रभाव पड़े ?

उत्तर - सर ग्रिफिन के कथनानुसार , " भारत में 1857 के विद्रोह से बढ़कर कोई भाग्यशाली घटना नहीं घटित हुई । इसने भारतीय आकाश में बहुत से बादल साफ कर दिए । इसने एक आलसी फौज को जो यह समझती थी कि अपने सौ वर्ष के जीवन में इसने शानदार सेवा की है , भंग कर दिया । इसने संसार को यह दिखाया कि अंग्रेज साहस तथा राष्ट्रीय भावना रखते हैं , जिसके कारण इतनी बड़ी विपत्ति भी टल गई थी तथा उन्होंने बड़ी से बड़ी बाधा की भी परवाह नहीं की ।

( 1 ) विद्रोह के कारण भारतीय रियासतों के प्रति भारत सरकार की नीति में परिवर्तन हए । महारानी विक्टोरिया ने अपनी 1858 की घोषणा में घोषित किया कि ब्रिटिश सरकार भारतीय रियासतों को अपने राज्य में सम्मिलित नहीं करेगी । भारतीय नरेशों को आश्वासन दिया गया कि उन्हें दत्तक लेने तथा उत्तराधिकार के सम्बन्ध में अधिकार  है । उन्हें प्रतिष्ठा के - अनुसार सनदें तथा प्रमाण - पत्र दिये गये । भारत सरकार ने भारतीय राजाओं पर अधिकाधिक विश्वास करना आरम्भ कर दिया क्योंकि भारतीयों में विदेशियों के प्रति अन्य - संक्रामण की भावना उत्पन्न हो रही थी ।
( 2 ) ईस्ट इण्डिया कम्पनी की अलग सेना को तोड़ दिया गया तथा उसे सरकारी सेना में मिला दिया गया ।
( 3 ) पिट के भारतीय कानून ने इंग्लैंड में दोहरे नियन्त्रण की स्थापना कर दी थी । ये नियन्त्रण डायरैक्टर तथा नियन्त्रण बोर्ड के द्वारा अलग - अलग रूप में थे । दोनों विभाग समाप्त कर दिये गये तथा उनका स्थान भारत मन्त्री तथा भारतीय कौंसिल ने ले लिया ।
( 4 ) विद्रोह 1860 तक बिल्कुल शान्त हो गया किन्तु उसका प्रभाव गहरा था । इसने जातीय जीवन की चाल को परिवर्तित कर दिया । विद्रोह ने यूरोपीय तथा भारतीय लोगों में खाई को चौड़ा कर दिया । मुस्कराहट लुप्त हो गई तथा भारत के लिए भाव प्रकट करने का एक मात्र उपाय शक्ति - भावना ने ले लिया । अंग्रेज सैनिक भारतीयों से घृणा करने लगे , यहाँ तक कि उनके साथ भी , जो उनके पक्ष में लड़ रहे थे ।
( 5 ) विद्रोह की असफलता ने मुसलमानों तथा हिन्दुओं में एक गलतफहमी उत्पन्न कर दी । मुसलमानों ने विद्रोह के लिए अत्यन्त उत्सुकता तथा व्यापक सहानुभूति प्रकट की थी । जब बिद्रोह आरम्भ हुआ , हिन्दू तथा मुसलमान दोनों ने अधिक संख्या में उसमें भाग लिया , किन्तु मुसलमान हिन्दुओ की अपेक्षा अधिक दृढ़ता से ब्रिटिश विरोधी थे । इसका परिणाम यह हुआ कि दमन का हाथ हिन्दुओ की अपेक्षा मुसलमानों पर अधिक दृढ़ता से पड़ा । उनके बहुत से प्रमुख व्यक्ति फांसी पर लटका दिये गये अथवा निर्वासित कर दिये गये | झज्जर , वल्लभगढ़ , फर्रुखनगर तथा फर्रुखाबाद के नवाबों के साथ यही व्यवहार किया गया । केवल 18 नवम्बर , 1857 के दिन ही चौबीस राजकुमार दिल्ली से फांसी पर लटकाये गये । सब ओर मुसलमान निशाना बने । मुसलमानों की सम्पत्ति भी व्यापक रूप से जब्त की गई ।
( 6 ) इस सबका परिणाम यह हुआ कि मुसलमानों के हृदय में हिन्दुओं के विरुद्ध भावना उत्पन्न हो गई । दोनों जातियों में मतभेद बढ़ने लगा । दोनों एक दूसरे से खिंचने लगे । हिन्दू - मुस्लिम एकता की समस्या असम्भव हो गई ।
( 7 ) विद्रोह का एक और प्रभाव यह हुआ कि मुस्लिम पुनर्जागरण , जो विद्रोह से पूर्व दिल्ली में  विकसित हो रहा था, इतना पीछे पड़ गया  कि उसको बड़ा धक्का लगा । सांस्कृतिक विकास रुक गया । सी . ऐफ . एण्ड्रयूज़ के मतानुसार , विकसित होने वाले आध्यात्मिक जीवन को इससे जो घातक धक्का लगा , उसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है । दिल्ली में विद्या के पुनरुद्धार का कार्य ढीला पड़ता गया । किन्तु  हिन्दू पुनरुत्थान का केन्द्र कलकत्ता , विद्रोह की भयानकता से बचा रहा  ।
( 8 ) भारतीय सेना की संख्या आधी कर दी गई । 77 फौजी दस्ते तोड़ दिये गये । चूँकि यूरोपीय सैनिक का वेतन भारतीय सैनिक की अपेक्षा चौगुना अथवा पाँच गुना होता था , इसलिए भारत का फोजी बजट इस पुनर्व्यवस्था  के कारण बहुत बढ़ गया । फोजी स्थानों तथा आवश्यक नाका पर यूरोपीय फौजों को लगाया गया , जिनकी संख्या लगभग दुगुनी थी । 
सर रिचर्ड टेम्पल ने इस प्रकार लिखा - साम्राज्य के प्रत्येक बड़े फौजी स्थान में अब पर्याप्त यूरोपीय हैं जो विद्रोह के अवसर पर भी दृढतापूर्वक स्थिति का नियन्त्रण कर सकते हैं । भारतीय तोपखाना तोड़ दिया गया । नई भारतीय फौज में ऊँची जातियों के लोगों को बाहर रखा गया । बंगाल फौज अन्ततः पंजाब फौज बन गई । नई फौज डिवीज़नों तथा सन्तुलन के आधार पर संगठित की |
( 9 ) विद्रोह का एक परिणाम यह हुआ कि भारतवर्ष पर इंग्लैंड की ओर से और भी अधिक नियन्त्रण हो गया । भारतीय विदेश नीति को यूरोपीय राजनीति से जोड़ दिया गया ।