प्रश्न . बंगाल
विभाजन एवं राष्ट्रीय आन्दोलन पर टिप्पणी करो ।
उत्तर -
बंगाल के
विभाजन के साथ ही पूरे देश में रोष की लहर दौड पड़ी । रिस्ले ने लिखा , " संयुक्त बंगाल
में एक बड़ी शक्ति है । विभाजित बंगाल में कई विभिन्न दिशाओं में खींचातानी की
प्रवृत्ति होगी । हमारा उद्देश्य इसे विभाजित करके अपने शासन के विरोधियों में एक
शक्तिशाली गिरोह को निर्बल बनाना है ।
लार्ड कर्जन द्वारा फरवरी 1905 ई . में
लिखे गए विवरण का
जिसमें उसने लिखा , ' कलकत्ता ही वह केन्द्र है जहाँ से सम्पूर्ण
बंगाल और यहाँ तक कि सारे भारत में कांग्रेस पार्टी की गतिविधियों को चलाया जाता
है ।
बंगाल विभाजन का राष्ट्रवादियों ने घोर विरोध किया । कर्जन
द्वारा किया गया बंगाल विभाजन प्रान्तीय नेताओं को प्रशासनिक सीमाओं का फेर - बदल
न होकर मातृभूमि का विभाजन प्रतीत हुआ । इसलिए बंगाल के अन्दर विभिन्न श्रेणियों
के लोग जैसे जमींदार , सौदागर , वकील , विद्यार्थी , अध्यापक , शहरी मजदूर और
यहाँ तक कि अनेक वर्गों की महिलाएं उठ खड़ी हुई ।
यदि विभाजन भाषा के आधार पर किया
गया होता तो संभवतः इतना बड़ा जन - असन्तोष न उभरता । असम में , जो पूर्वी बंगाल
के साथ मिलाया गया था , 1 करोड़ 80 लाख बंगाली और 3 करोड़ 60 लाख बिहारी और
उड़िया थे ।
राष्ट्रवादियों ने महसूस किया कि ब्रिटिश सरकार इस विभाजन से हिन्दू
और मुसलमानों में फूट बोने का प्रयास कर रही है । उन्होंने यह भी एहसास किया कि
बंगभंग से बंगला भाषा और संस्कृति के विकास को गहरा धक्का लगेगा ।
राष्ट्रवादियों ने ब्रिटिश सरकार से कहा कि यदि वह वास्तव में प्रशासनिक कार्यकुशलता को बढ़ाना चाहती है तो वह हिन्दी भाषी बिहार और उड़िया भाषी उड़ीसा को
प्रान्त से अलग करके ऐसा करे ।
वास्तव में , राष्ट्रवादियों
ने बंग - भंग को साम्प्रदायिक आधार पर कार्यान्वित न करके , भाषा के आधार पर
करने की माँग की लेकिन सरकार ने जनमन की पूर्ण उपेक्षा की और राष्ट्रीय आन्दोलन को
कमजोर करने और साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए बंग - भंग की योजना को लागू
रखा ।