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Why does the fireworks look colourful?



आतिशबाजी रंगीन क्यों दिखाई देती है ?

  • आतिशबाजी का प्रयोग पिछले सैकड़ों वर्षों से दुनिया के कोने - कोने में हो रहा है । इसका इस्तेमाल विश्व के लगभग सभी देशों में राष्ट्रीय , धार्मिक व सामाजिक उत्सवों पर किया  जाता है । अनुमान है कि पूरे साल में विश्व में लगभग 300 किस्म की , 5000 करोड़ रुपये की आतिशबाजी फेंक दी जाती हैं । आतिशबाजी जब जलाई जाती है , तब इसमें से कई प्रकार की रंगीन व सफेद चमकीली रोशनी निकलती हैं । क्या आप जानते हो कि आतिशबाजी रंगीन क्यों दिखाई देती है ?  
  • आतिशबाजी आमतौर पर पोटेशियम नाइट्रेट ( Potasium Nitrate ) , गंधक ( Sulphur ) , कोयला ( Charcoal ) और कुछ अन्य धातुओं के लवणों के मिश्रण से बनाई जाती है । आतिशबाजी को रंगीन बनाने के लिए उसमें स्ट्रोंशियम ( Strontium ) , बेरियम ( Barium ) , मैगनीशियम ( Magnesium )  तथा सोडियम ( Sodium )  के लवण प्रयोग में लाए जाते हैं । इन लवणों को पोटैशियम क्लोरेट  ( Potasium Chlorate ) के साथ मिलाया जाता है । बेरियम के लवणों से हरे रंग का प्रकाश पैदा होता है । स्ट्रॉशियम सल्फेट से हल्के आसमानी रंग की रोशनी  निकलती है । स्ट्राँशियम कार्बोनट से पीले रंग का प्रकाश पैदा होता है । स्ट्रॉशियम नाइट्रेट में लाल रंग का प्रकार पैदा होता है । इन धातुओं के लवणों का मिश्रण व ' आतिशबाजी के साथ जलता है , तब कई रंग के प्रकाश  पैदा हो जाते हैं |और आतिशबाजी सुंदर रंगों में दिखाई देने लगती है । 
  • आतिशबाजी की शुरुआत सबसे पहले चीन में हुई थी । इसके सैकड़ों वर्ष बाद यूरोप , अरब और यूनान के देश  को इसकी जानकारी हो गई । इस समय भारत में सबसे अधिक आतिशबाजी शिवकाशी नामक छोटे से शहर में बनाई जाती है । कुछ समय पहले जापान में एक ऐसी रंगीन आतिशबाजी बनाई गई , जो 915 मीटर ( 3000 फुट ) को ऊंचाई पर जाकर 610 मीटर ( 2000 फुट ) के व्यास में बिखर गई थी । आतिशबाजी कभी - कभी खतरनाक भी सिद्ध हो सकती है । 16 जून , 1770 को पेरिस में एक शादी के दौरान आतिशबाजी के कारण 900 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी ।




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