भारत का भूगोल ( Part -1 )
चाय:
- भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य असम है ।
- यहाँ ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में चाय की उन्नत कृषि की जाती है । इसके अतिरिक्त सूरमा नदी घाटी भी चाय की कृषि का एक प्रधान क्षेत्र है ।
- असम से देश के कुल चाय उत्पादन का 50 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है ।
- इसके अतिरिक्त पश्चिम बगाल के दाजिलिग , कूच बिहार तथा जलपाईगुड़ी जिले , झारखण्ड के छोटानागपुर पठारी क्षेत्र में भी चाय पैदा की जाती है ।
- दक्षिण भारत में तमिलनाड सर्वाधिक चाय उत्पादन करने वाला राज्य है ।
- केरल , कर्नाटक तथा महाराष्ट्र के पर्वतीय ढालों पर भी चाय की कृषि की जाती है ।
एल्युमिनियम:
- मध्य प्रदेश में कोरबा एल्युमिनियम उद्योग के लिए जाना जाता है ।
- एल्युमिनियम की प्राप्ति का स्रोत मुख्यतः बाक्साइट है । इसकी प्राप्ति लौह भस्मों के रूप में होती है ।
- मध्य प्रदेश में भारत का कुल बाक्साइट उत्पादन का 44 प्रतिशत होता है ।
- इसकी सहायता से विभिन्न प्रकार की मिश्रवस्तुएं बनाई जाती हैं ।
- भारत में इसका अनुमानित भडार 291 . 1 करोड़ टन है ।
- रसायन उद्योग , पेट्रोलियम उद्योग , रिफ्रेक्टरी आदि में इसका उपयोग किया जाता है
लौह अयस्क:
- भारत में कडप्पा तथा धारवाड युग की जलीय ( अवसादी ) एवं आग्नेय चट्टानों में लौह अयस्क की प्राप्ति होती है ।
- इनमें मैग्नेटाइट , हेमेटाइट , सिडेराइट , लिमोनाइट तथा लैटराइट अयस्क प्रमुख हैं ।
- भारत में सर्वाधिक शुद्धता वाला मैग्नेटाइट अयस्क ( 72 प्रतिशत ) पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है
- भारत से जापान को सर्वाधिक लौह अयस्क का निर्यात किया जाता है ।
भाखड़ा नांगल परियोजना:
- भाखड़ा नांगल परियोजना देश की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय परियोजना है ।
- यह बांध 518 मीटर लम्बा तथा 226 मी . ऊँचा है ।
- सीमेण्ट तथा कंकरीट से निर्मित विश्व के सीधे बाँधों में यह सबसे बड़ा है ।
- इस बांध के पीछे निर्मित गोविन्द सागर जलाशय 88 किमी लम्बा तथा 8 किमी चौड़ी है
- इस परियोजना से 1204 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है ।
- इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सिंचाई एवं जल विद्युत उत्पादन करना है ।
- यह परियोजना केन्द्र सरकार व पंजाब , हरियाणा तथा राजस्थान सरकार का संयुक्त उपक्रम है ।
बाघ परियोजना:
- डब्ल्यू डब्ल्यू० एफ - ( World Wild Fund for Nature ) एवं भारतीय वन्य जीव प्रणाली बोर्ड 1 अप्रैल , 1973 को बाघ परियोजना की शुरूआत हुई ।
- इस समय देश के 25 अभयारण्यों में यह परियोजना चल रही है ।