क्या
धूल भी उपयोगी है
- क्या धूल भी उपयोगी है | धूल के बारे में लोगों की धारणा है कि यह बेकार की चीज़ है । यह हमारे किसी भी काम नहीं आती , लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है । धूल भी हमारे लिए बहुत उपयोगी है । धूल के उपयोग की बात करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि धूल क्या है और यह कैसे पैदा होती है ?
- प्रत्येक ठोसपदार्थ बहुत ही सूक्ष्म कणों से मिलकर बनता है । जब पदार्थ के ये छोटे -छोटे कण बिखर जाते हैं , तब धूल का रूप ले लेते हैं । उदाहरण के लिए यदि हमएक ईंट या पत्थर को तोड़ते चले जाएं , तब यह छोटे छोटे कणों का रूप धारणकर लेगा । यही कण जब हवा में उड़ने लगते हैं , तब धूल कहलाते हैं । हवा केकारण धूल के कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़ते रहते हैं । धूल बनने केकई कारण हैं । ठोस वस्तुओं के टूटने से तो धूल पैदा होती है | कोयला , लकड़ी , पेट्रोल आदि के जलनेसे निकला धुआं और ज्वालामुखी के मुंह से निकलने वाला लावा भी धूल को जन्म देते हैं ।
- धूल कणों का सबसे बड़ा उपयोग वर्षा से संबंधित है । बादलों में जो जलवाष्प होती है , वह धूल कणों के कारण ही बूंदों का रूप ले पाती है । धूल कणों पर जलवाष्प पानी के रूप में जमा हो जाती है और वर्षा के रूप में हमारी धरती को जीवनदान देती है । यदि धूल कण न हों , तब जलवाष्प से बूंदें बनना बहुत मुश्किल है । इसी प्रकार धुंध , कोहरा आदि धूल कणों के कारण ही बन पाते हैं । हमारे वायुमंडल में उपस्थित धूल कण सूर्य की किरणों को चारों ओर परावर्तित करते हैं । इसका एक लाभ यह होता है कि सूर्य छिपने के बाद भी एक दो घंटे तक एकदम अंधेरा नहीं होता । सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूरज का लाल दिखना भी धूल कणों और वाष्प के कारण ही होता है । गोधूलि वेला में जो सूर्य की सुंदर किरणें दिखाई देती हैं , वे भी धूल कणों के कारण ही दिखाई देती हैं । इस प्रकार हम देखते हैं कि जिन धूल कणों को हम बेकार समझते हैं , वे भी हमारे लिए काफी उपयोगी हैं ।
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