आधुनिक भारतीय इतिहास से
सम्बन्धित तथ्य
पार्ट – 1
तृतीय गोलमेज सम्मेलन
- 1932 ई० में लन्दन में आयोजित तीसरे और अन्तिम गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग नहीं लिया था । इस सम्मेलन में भारत सरकार अधिनियम , 1935 के लिए एक ठोस योजना को अन्तिम रूप में पेश किया गया था । इसमें ब्रिटिश भारत के सूबों और भारतीय रियासतों के एक संघ पर आधारित आल इण्डिया फेडरेशन के गठन का प्रावधान किया गया था |
स्रोत – आधुनिक भारत का इतिहास - बी०एल० ग्रोवर
हिन्दू कॉलेज
- डेविड हेयर और एलेक्जेंडर डफ के साथ मिलकर राजा राममोहन राय ने कलकत्ता में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की थी । राजा राममोहन राय हिन्दू कॉलेज की स्थापना समिति के अध्यक्ष भी थे । आगे चलकर यह हिन्दू कॉलेज ‘ प्रेसीडेंसी कॉलेज के नाम से प्रसिद्ध हुआ । 1817 ई० में ब्रिटिश सरकार ने हिन्दू कॉलेज बनाने के लिए अनुदान दिया था जिसमें अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जाती थी |
स्रोत – भारत
का स्वतन्त्रता संघर्ष विपिन चन्द्रा
क्रिप्स मिशन
- ब्रिटिश प्रधानमन्त्री विन्स्टन चर्चिल ने द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी और मदद मांगने के लिए मार्च 1942 में अपने मन्त्रिमण्डल के सदस्य क्रिस्टोफर क्रिप्स के नेतृत्व में भारत में क्रिप्स मिशन भेजा था । क्रिप्स ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसके अनुसार 1 . युद्ध समाप्ति के बाद भारत को ‘ डोमिनियन स्टेट ' का दर्जा देना । 2 . एक संविधान निर्मात्री परिषद् बनाने का वादा किया जिसके कुछ सदस्य प्रान्तीय विधायकों द्वारा नामांकित तथा कुछ शासकों द्वारा नामांकित करने का प्रावधान । 3 . पाकिस्तान की माँग के लिए इस व्यवस्था के तहत गुंजाइश बनाई गई कि यदि किसी प्रान्त को नया संविधान स्वीकार्य नहीं होता तो वह अपने भविष्य के लिए ब्रिटेन से अलग समझौता करेगा । यह सारा प्रावधान युद्ध के पश्चात् होना था । इसलिए कांग्रेस , मुस्लिम लीग , हिन्दू सभा , सिख तथा दलित जातियों ने भी क्रिप्स प्रस्ताव का विरोध किया । महात्मा गांधी ने इस प्रस्ताव को उत्तरतिथीय चेक कहा ।
स्रोत – भारत
का स्वतन्त्रता संघर्ष विपिन चन्द्रा
सरोजिनी नायडू
- गोल्डन थ्रेशहोल्ड ' नामक कविता संग्रह की रचयिता सरोजिनी नायडू है । 13 वर्ष की आयु में इन्होने ' लेडी ऑफ द लेक शीर्षक से एक कविता लिखी । 1925 ई० में इन्हें कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया । 1930 ई० में डाण्डी मार्च के समय जेल गईं । इन्हें एशियन रिलेशन्स कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया । भारत के स्वतन्त्र होने पर इन्हें उत्तर प्रदेश संयुक्त प्रान्त का पहला गवर्नर बनाया गया । इन्हें भारत कोकिला ' नाम से भी जाना जाता है । उनकी प्रसिद्ध रचनायें - ' सांग ऑफ द इण्डिया ' , ' द गोल्डन थ्रेशहोल्ड ' , ' द फायर ऑफ डान ' , द वर्ड ऑफ टाइम ' , ' द ब्रोकेन विग हैं ।
स्रोत – भारत
का स्वतन्त्रता संघर्ष विपिन चन्द्रा
रौलेट एक्ट
- रौलेट एक्ट जस्टिस रोलेट ' की अध्यक्षता में स्थापित सेडीशन कमेटी की सिफारिशों पर आधारित था । 18 मार्च , 1919 को निर्वाचित भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल ने इसे पारित कर दिया । इस एक्ट के तहत जिस व्यक्ति से शान्ति भंग होने की सम्भावना हो उसे गिरफ्तार कर बिना मुकदमे के दो वर्ष तक बन्दी बनाये रखने का प्रावधान था । इस कारण इस कानून को बिना वकील , बिना अपील एवं बिना दलील का कानून कहा गया । इस एक्ट का विरोध करने के लिए गांधीजी ने सत्याग्रह करने का निश्चय किया । अपने सत्याग्रह में गांधीजी ने तीन राजनैतिक संगठनों - होमरूल लीग , अखिल इस्लामिक समूह तथा सत्याग्रह सभा , का सहयोग लिया ।
स्रोत – आधुनिक भारत का इतिहास - बी०एल० ग्रोवर
डाण्डी यात्रा
- फरवरी , 1930 को साबरमती आश्रम में हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में महात्मा गांधी को अपनी इच्छा से सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का अधिकार सौपा गया । गांधीजी ने लार्ड इरविन के पास 11 सूत्रीय मांग पत्र प्रस्तुत किया । लार्ड इरविन द्वारा इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिये जाने के कारण गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने का निर्णय लिया । गांधीजी ने अपने 78 चुने हुए अनुयायियों के साथ 12 मार्च , 1930 को साबरमती आश्रम से अपनी डाण्डी यात्रा प्रारम्भ की । 6 अप्रैल को गाँधीजी डाण्डी पहुंचे और 6 अप्रैल , 1930 को प्रातः एक मुट्ठी नमक हाथ में लेकर सविनय अवज्ञा की शुरूआत की । तमिलनाडु में सी० राजगोपालाचारी ने ' त्रिचनापल्ली से वेदारण्यम ' तक की नमक यात्रा की एवं 30 अप्रैल , 1930 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया । मालाबार के के० कोलप्पण ने ' कालीकट से पयन्मार तक की यात्रा की । उड़ीसा में नमक सत्याग्रह को गोपबन्ध चौधरी के नेतृत्व में बालासोर , कटक और पुरी में चलाया गया । पश्चिमोत्तर प्रान्त में अब्दुल गफ्फार के नेतत्व में मुसलमानों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई
स्रोत - भारत का स्वतन्त्रता संघर्ष विपिन चन्द्रा '
- भारत छोडो आंदोलन
- करो या मरो ' नारा भारत छोड़ो आन्दोलन से सम्बन्धित है । इस आन्दोलन को अगस्त क्रान्ति के नाम से भी जाना जाता है । ' भारत छोड़ो आन्दोलन भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की अन्तिम महान लड़ाई थी । मार्च 1942 में क्रिप्स मिशन की विफलता से यह स्पष्ट हो गया कि ब्रिटिश सरकार युद्ध में भारत की अनिच्छुक साझेदारी को साम्राज्यवादी युद्ध घोषित कर ‘ तटस्थ रहने की बात कहेगी । नेहरू ने कहा जब तक भारत स्वाधीन नहीं हो जाता तब तक भारत को युद्ध में शामिल नहीं होना चाहिए । गांधीजी ने अन्ततः नेहरू के विचार को स्वीकार कर लिया । 27 अप्रैल से 1 मई , 1942 तक इलाहाबाद में चली कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में गांधीजी के कट्टर समर्थकों ने उनके प्रस्ताव जिसमें अंग्रेजों को भारत से जाने को कहा गया , का समर्थन किया लेकिन नेहरू , अबुल कलाम आजाद आदि नेताओं ने इस प्रस्ताव का बहिष्कार किया । जुलाई से 14 जुलाई , 1942 तक चलने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक वर्धा में हुई । 14 जुलाई , 1942 को कांग्रेस कार्यकारिणी ने भारत छोड़ो नामक प्रस्ताव पारित किया । प्रस्ताव पारित होने से पूर्व गाधाजी ने कांग्रेस को यह चुनौती दी कि “ यदि संघर्ष का उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया तो मैं देश की बालू से ही कांग्रेस से भी बड़ा आन्दोलन खड़ा कर दूगा । ' ' अगले महीने 7 अगस्त , 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक बम्बई के ऐतिहासिक ‘ ग्वालिया टैक मैदान में हुई । गांधीजी के भारत छोड़ो प्रस्ताव को कांग्रेस कार्यकारिणी ने कुछ संशोधन के साथ अगस्त को पास कर दिया । गांधीजी ने आजादी को अपना लक्ष्य घोषित किया और करो या मरो ' का नारा दिया । गांधीजी को 8 अगस्त , 1942 की अर्द्ध - रात्रि को गिरफ्तार कर पूना स्थित आगा खाँ पैलेस ' में नजरबन्द कर दिया । कांग्रेस के अन्य शीर्ष नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया ।
स्रोत -भारत का स्वतन्त्रता संघर्ष विपिन चन्द्रा
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