प्रधानमंत्री का चयन कैसे होता है, कैसे मिलती नियुक्ति, तथा क्या है योग्यता प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियां क्या हैं जानिए सब कुछ |
भारत के प्रधानमंत्री पद की योग्यता
भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए योग्यताएं इस प्रकार हैं-
1. व्यक्ति भारतीय नागरिक होना चाहिए।
2. व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने के लिए लोकसभा या राज्यसभा में से किसी एक सदन का सदस्य होना अनिवार्य है । अगर कोई व्यक्ति, जो लोकसभा का
सदस्य नहीं है, और प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाता है तो उसे 6 महीने की अंदर लोकसभा का सदस्य होना पड़ता है।
3. अगर व्यक्ति लोकसभा का Member है तो उसकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए | यदि वह राज्यसभा का सदस्य है तो उसकी उम्र 30 से कम नहीं होनी चाहिए।
4. अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी पद पर कार्यरत है तो वह देश का प्रधानमंत्री बनने की योग्यता नहीं रख सकता |
प्रधानमंत्री बनने की प्रक्रिया क्या है -
लोकसभा चुनाव के लिए Vote डालने वाले मतदाता प्रधानमंत्री का चुनाव सीधे नहीं करते हैं। भारत की चुनाव प्रक्रिया ब्रिटिश चुनाव प्रक्रिया के समान है।
इस प्रक्रिया के अनुसार प्रधानमंत्री सरकार का सर्वेसर्वा होता है और वह लोकसभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
देश के मतदाता केवल लोकसभा के सदस्यों का ही चुनाव करते
हैं | भारत की लोकसभा में 545 Members होते हैं। जिनमें से 543 चुनाव प्रक्रिया द्वारा चुने जाते हैं जबकि 2 सदस्यों को भारत का राष्ट्रपति मनोनीत करता है |
भारत के
प्रधानमंत्री का चयन और नियुक्ति प्रक्रिया क्या है ?
संविधान के
अनुच्छेद 75 में केवल यह
प्रावधान किया गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होगा । परन्तु राष्ट्रपति अपने विवेक के आधार से प्रधानमंत्री को नियुक्त नहीं कर सकता है। जो व्यक्ति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता चुना जाता है उसे ही राष्ट्रपति प्रधानमंत्री
के पद पर मनोनीत करता है |
अगर चुनाव प्रक्रिया में कोई भी दल स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त करता है , तो राष्ट्रपति लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता
को आमंत्रित करता है या फिर किसी ऐसे व्यक्ति को जिसे विभिन्न दलों का समर्थन प्राप्त हो। इसके
बाद उसे अवसर दिया जाता है कि वह एक माह के भीतर स्पष्ट बहुमत प्राप्त करे।
जब लोकसभा में कार्यालय मंत्री परिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है , तो मंत्रिपरिषद
को त्यागपत्र देना पड़ता है। इस स्थिति में राष्ट्रपति लोकसभा में विपक्षी पार्टी के नेता को सरकार बनाने के लिए बुलाता है | राष्ट्रपति उन्हें यह निर्देश देता है कि
सरकार के गठन के बाद एक महीने के अंदर स्पष्ट बहुमत सिद्ध करें।
भारत
के प्रधानमंत्री की पदावधि
सामान्यतः प्रधानमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष होता है | प्रधानमंत्री
अपने पद ग्रहण के दिन से लोकसभा के अगले चुनाव के बाद मंत्रिमंडल के गठन तक पद पर बना रह सकता है | वह राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर अपना पद छोड़ सकता है | अगर उसके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है तो भी प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया भी जा सकता है।
प्रधानमंत्री
के कार्य एवं शक्तियां क्या हैं:
भारतीय लोकतंत्र में प्रधानमंत्री के पद को सर्वाधिक महत्व दिया गया है । प्रधानमंत्री मंत्रीपरिषद
का नेता होता है। राष्ट्रपति
के सभी कार्यों का निर्माण प्रधानमंत्री तथा मंत्री परिषद के माध्यम से होता
है ।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य क्या हैं?
मंत्रिपरिषद
के सम्बन्ध में प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
1. मंत्री नियुक्त
करने के लिए वह राष्ट्रपति को अपने दल के सदस्यों के नाम से अवगत करता है | जिनके नामों की सिफारिस प्रधानमंत्री करता है राष्ट्रपति केवल उन्ही लोगों को मंत्री बना सकता है |
2. प्रधानमंत्री यह निर्धारित करता है कि किस मंत्री को कौन सा विभाग दिया जायेगा | वह उनको दिए गए विभाग में फेरबदल
भी करने की शक्ति रखता है |
3. प्रधानमंत्री मंत्री परिषद्
की बैठक की अध्यक्षता करता है और अपने अनुसार निर्णय बदल भी सकता है l
4. किसी मंत्री को
त्यागपत्र देने या उसे बर्खास्त करने की सिफारिश राष्ट्रपति को दे सकता है l
5. वह सभी मंत्रियों
की गतिविधियों को नियंत्रित करता है और निर्देशित भी करता है l
6. प्रधानमंत्री अपने पद से
त्यागपत्र देकर मंत्रिमंडल को बर्खास्त करने की सलाह भी राष्ट्रपति को दे
सकता है | इसका अर्थ है कि वह
राष्ट्रपति को लोकसभा भंग कर नये सिरे से दुबारा लोकसभा चुनाव करवाने की सलाह भी दे सकता |
नोट: यदि
प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल से पहले पद से त्यागपत्र दे देता है या उसकी मृत्यु हो जाती है मंत्रिपरिषद स्वयं भंग हो जाती है और कोई भी मंत्री कोई कार्य नही कर सकते हैं |
नियुक्तियों
के सम्बन्ध में अधिकार:
प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को निम्न अधिकारियों की नियुक्ति के सम्बन्ध में राय देने
अधिकार है :
भारत का नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक
भारत का
महान्यायवादी
भारत का
महाधिवक्ता
संघ लोक सेवा
आयोग का अध्यक्ष एवं उसके सदस्यों का चुनाव
चुनाव आयुक्तों
का चुनाव
वित्त आयोग का
अध्यक्ष एवं सदस्यों का चुनाव
संसद के सन्दर्भ
में अधिकार क्या है :
प्रधानमंत्री निम्न सदन का नेता होता है और वह निम्न शक्तियों का प्रयोग कर सकता है |
1. वह राष्ट्रपति को
संसद का सत्र शुरू करने और उसको भंग करने का परामर्श देता है l
2. वह राष्ट्रपति को लोक सभा को
किसी भी समय भंग करने की सलाह दे सकता है
प्रधानमंत्री
की अन्य शक्तियां :
1. वह राष्ट्र की
विदेश नीति को मूर्त रूप दने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
2. वह केंद्र सरकार
का मुख्य प्रवक्ता होता है |
3. वह सत्ताधारी दल
का नेता होता है |
4. योजना आयोग, राष्ट्रीय विकास
परिषद्, राष्ट्रीय एकता
परिषद्, अंतर्राज्यी य
परिषद् और राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद् का अध्यक्ष होता है|
5. आपातकाल के दौरान
राजनीतिक स्तर पर आपदा प्रबंधन का प्रमुख होता है |
6. वह सेनाओं का
राजनीतिक प्रमुख होता है |
राष्ट्रपति
के साथ संबंध:
राष्ट्रपति और
प्रधानमन्त्री के बीच सम्बन्ध निम्न दो अनुच्छेदों में दिया गए हैं |
1. अनुच्छेद
74:
राष्ट्रपति को
सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा |
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के परामर्श के अनुसार कार्य करेगा हालांकि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद से उसकी परामर्श पर
पुनर्विचार करने के लिए कह सकता है और राष्ट्रपति इस पुनर्विचार के बाद दी गयी
सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य होगा |
2. अनुच्छेद 75:
1. प्रधानमंत्री की
नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा |
2. प्रधानमंत्री की ही सलाह पर वह अन्य मंत्रियों की भी नियुक्ति करेगा l
3 . मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त अपने पद पर बने
रह सकते हैं |
4. मंत्रिपरिषद, लोक सभा के प्रति उत्तरदायी
होगी |
प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति के प्रति कर्तव्य:
1. मंत्रीपरिषद् के
सभी कार्यों की Report राष्ट्रपति को सौंपना |
2. देश में आपातकाल
या कोई अन्य मामला जैसे ‘विदेश नीति’ के सम्बन्ध में
राष्ट्रपति को पूरी जानकारी देना l
3. संघ के कार्यकलाप
एवं प्रशासन सम्बन्धी मंत्रिपरिषद के सभी विनिश्चय पर राष्ट्रपति को सूचित करे l
प्रधानमंत्री
के कार्य प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर ने कहा था कि यदि हमारे संविधान के
अंतर्गत किसी “कार्यकारी” की
यदि अमेरिका के राष्ट्रपति से तुलना की जाये तो वह “भारत का
प्रधानमंत्री” होगा न कि ‘राष्ट्रपति’ l
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि भारत की संसदीय प्रक्रिया में राष्ट्रपति केवल नाममात्र का कार्यकारी
प्रमुख होता है | वस्तुतः वास्तविक कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती हैं |