नसीरुद्दीन हुमायूँ ( 1530 - 40) एवं ( 1555 – 56 )
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जन्म
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17 मार्च , 1508 ई० काबुल मे
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माता –पिता
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माहम बेगम
और बाबर
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भाई
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कामरान , अस्करी , हिंदाल
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राज्याभिषेक
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30 दिसंबर , 1530 ई० ( आगरा )
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मृत्यु
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1556 ई०
( दिल्ली मे दीनपनाह पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर
)
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मकबरा
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दिल्ली
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हुमायूँ द्वारा लड़ा गया प्रमुख युद्ध
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कालिंजर पर आक्रमण
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1531 ई०
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कालिंजर के शासक प्रताप रूद्रदेव से संधि
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दौहरिया का युद्ध
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1532 ई०
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हुमायूँ और महमूद लोदी ( अफगान ) के मध्य ,
जिसमे लोदी की पराजय हुई
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चौसा का युद्ध
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26 जून, 1539 ई०
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शेरशाह और हुमायूँ के मध्य ( हुमायूं की हार )
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बिलग्राम ( कन्नौज ) का युद्ध
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17 मई ,1540 ई०
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शेरशाह और हुमायूँ के मध्य ( हुमायूं की हार )
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मच्छीवाड़ा का युद्ध
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मई , 1555
ई०
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हुमायूँ और अफगानों के मध्य
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सरहिंद का युद्ध
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जून, 1555
ई०
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बैरम खां और सिकंदर सूरी के मध्य
( हुमायूँ की विजय हुई )
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हुमायूँ से
सबन्धित व्यक्ति
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अकबर के आग्रह पर
बाबर की पुत्री और हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम ने हुमायूँनामा नामक ग्रन्थ फारसी
भाषा मे लिखा है
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हुमायूँ का मकबरा
बेगाबेगम ने बनवाया था | बेगाबेगम हुमायूँ की पत्नी थी | बेगा बेगम को हाजी बेगम
के नाम से भी जाना जाता था
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चित्तौड़ के शासक
विक्रमाजीत की माँ रानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर बहादुर शाह के विरुद्ध
सहायता मांगी
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हुमायूँ को अबुल
फजल ने ‘ इंसान-ए-कामिल ‘ की उपाधि दी थी
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अन्य प्रमुख तथ्य
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लेनपूल ने हुमायूं
के बारे मे लिखा है कि हुमायूं जीवन भर लड़खड़ाता रह और लड़खड़ाते हुए अपनी जान दे
दी
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हुमायूँ का मकबरा
भारत मे चारबाग शैली का प्रथम मकबरा है
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1533 ई० में हुमायूँ ने दिल्ली मे दीन पनाह भवन बनवाया था
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दिल्ली मे हुमायूँ
ने मदरसा-ए-बेगम विद्यालय खुलवाया
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हुमायूँ
खगोलशास्त्र एवं ज्योतिषशास्त्र मे रूचि रखता था | क़ानून-ए- हुमायूनी मे इस तथ्य
का वर्णन किया गया है
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नसीरुद्दीन हुमायूँ
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